aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1930 - 2001 | इस्लामाबाद, पाकिस्तान
जो लोग मौत को ज़ालिम क़रार देते हैं
ख़ुदा मिलाए उन्हें ज़िंदगी के मारों से
और ही वो लोग हैं जिन को है यज़्दाँ की तलाश
मुझ को इंसानों की दुनिया में है इंसाँ की तलाश
किसी की मेहरबानी से मोहब्बत मुतमइन क्या हो
मोहब्बत तो मोहब्बत से भी आसूदा नहीं होती
आए तो दिल था बाग़ बाग़ और गए तो दाग़ दाग़
कितनी ख़ुशी वो लाए थे कितना मलाल दे गए
रात से शिकायत क्या बस तुम्हीं से कहना है
तुम ज़रा ठहर जाओ रात कब ठहरती है
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रात से शिकायत क्या बस तुम्हीं से कहना है तुम ज़रा ठहर जाओ रात कब ठहरती है
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