aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1799/ 1800 - 1866 | दिल्ली, भारत
नाम मेरा सुनते ही शर्मा गए
तुम ने तो ख़ुद आप को रुस्वा किया
आँखों में है लिहाज़ तबस्सुम-फ़िज़ा हैं लब
शुक्र-ए-ख़ुदा के आज तो कुछ राह पर हैं आप
का'बा नहीं है ज़ाहिद-ए-ग़ाफ़िल निशान-ए-दोस्त
दिल ढूँड आशिक़ों का यही है मकान-ए-दोस्त
रब्त-ए-बाहम के मज़े बाहम रहें तो ख़ूब हैं
याद रखना जान-ए-जाँ गर मैं नहीं तो तू नहीं
कुफ़्र-ओ-दीं के क़ाएदे दोनों अदा हो जाएँगे
ज़ब्ह वो काफ़िर करे मुँह से कहें तकबीर हम
Daftar-e-Shagarf
1867
Dafter-e-Shagarf
1868
Farhang-e-Aasifiah
1908
Intikhab-e-Dawaween
Momin Dehlavi, Naseem Dehalvi, Tasleem Lucknowi
कुल्लियात-ए-नसीम
1966
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