aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1902 - 1991 | आगरा, भारत
प्रसिद्ध शायर के अलावा आलोचक और इक़बालिया के विशेषज्ञ थे और तसव्वुफ इनका मिज़ाज था।
मिरे फ़ुसूँ ने दिखाई है तेरे रुख़ की सहर
मिरे जुनूँ ने बनाई है तेरे ज़ुल्फ़ की शाम
तिरी ज़ुल्फ़ों को क्या सुलझाऊँ ऐ दोस्त
मिरी राहों में पेच-ओ-ख़म बहुत हैं
आप की मेरी कहानी एक है
कहिए अब मैं क्या सुनाऊँ क्या सुनूँ
पहुँच ही जाएगा ये हाथ तेरी ज़ुल्फ़ों तक
यूँही जुनूँ का अगर सिलसिला दराज़ रहा
थी जुनूँ-आमेज़ अपनी गुफ़्तुगू
बात मतलब की भी लेकिन कह गए
Agra Aur Agra Wale
2002
आगरा और आगरे वाले
Dastan-e-Shab
1979
Harf-e-Tamanna
1955
Hazrat Ghaus-ul-Aazam Sawaneh-o-Talimat
Ma Tazkira Farzand-e-Ghaus-ul-Aazam
Hazrat-e-Gaus-ul-aa'zam
Savaneh-o-Talimaat
1966
Hazrat-e-Ghaus-ul-Aazam Sawaneh Taalimat Ma Tazkira
Farzand-e-Ghaus-ul-Aazam
Maikada
मसाइल-ए-तसव्वुफ़
Masail-e-Tasawwuf
थी जुनूँ-आमेज़ अपनी गुफ़्तुगू बात मतलब की भी लेकिन कह गए
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