aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1972 | भोपाल, भारत
दिल भी तोड़ा तो सलीक़े से न तोड़ा तुम ने
बेवफ़ाई के भी आदाब हुआ करते हैं
वतन को फूँक रहे हैं बहुत से अहल-ए-वतन
चराग़ घर के हैं सरगर्म घर जलाने में
उस को आवाज़ दो मोहब्बत से
उस के सब नाम प्यारे प्यारे हैं
तुम ज़माने के हो हमारे सिवा
हम किसी के नहीं तुम्हारे हैं
ये सन कर मेरी नींदें उड़ गई हैं
कोई मेरा भी सपना देखता है
Firaq Ka Jaiza
Urdu Naqqad Ki Haisiyat Se
1995
Manzaraon Ke Darmiyan
Saba Rang Khushboo
2014
Tahzeeb
2020
Wast-e-Hind Mein Urdu Adab
Volume-002
2012
दिल भी तोड़ा तो सलीक़े से न तोड़ा तुम ने बेवफ़ाई के भी आदाब हुआ करते हैं
Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books