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Mahmood Shaam's Photo'

पाकिस्तान के प्रतिष्ठित पत्रकार

पाकिस्तान के प्रतिष्ठित पत्रकार

महमूद शाम

ग़ज़ल 36

नज़्म 2

 

अशआर 7

ये और बात कि चाहत के ज़ख़्म गहरे हैं

तुझे भुलाने की कोशिश तो वर्ना की है बहुत

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बस एक अपने ही क़दमों की चाप सुनता हूँ

मैं कौन हूँ कि भरे शहर में भी तन्हा हूँ

उस को देखा तो ये महसूस हुआ

हम बहुत दूर थे ख़ुद से पहले

कितने चेहरे कितनी शक्लें फिर भी तन्हाई वही

कौन ले आया मुझे इन आईनों के दरमियाँ

औने-पौने ग़ज़लें बेचीं नज़्मों का व्यापार किया

देखो हम ने पेट की ख़ातिर क्या क्या कारोबार किया

पुस्तकें 8

 

वीडियो 4

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
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