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लुत्फ़ुर्रहमान

1941 | पटना, भारत

लुत्फ़ुर्रहमान

ग़ज़ल 21

अशआर 9

किस से उम्मीद करें कोई इलाज-ए-दिल की

चारागर भी तो बहुत दर्द का मारा निकला

जाते जाते दिया इस तरह दिलासा उस ने

बीच दरिया में कोई जैसे किनारा निकला

तमाम उम्र मिरा मुझ से इख़्तिलाफ़ रहा

गिला कर जो कभी तेरा हम-नवा हुआ

मैं ख़ुद ही अपने तआक़ुब में फिर रहा हूँ अभी

उठा के तू मेरी राहों से रास्ता ले जा

मैं दर-ब-दर हूँ अभी अपनी जुस्तुजू में बहुत

मैं अपने लहजे को अंदाज़ दे रहा हूँ अभी

पुस्तकें 13

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