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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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लियाक़त अली आसिम

1951 - 2019 | कराची, पाकिस्तान

मशहूर पाकिस्तानी शायर और माहिर-ए-लेसानियात, पाकिस्तान उर्दू लुग़त बोर्ड से वाबस्ता रहे

मशहूर पाकिस्तानी शायर और माहिर-ए-लेसानियात, पाकिस्तान उर्दू लुग़त बोर्ड से वाबस्ता रहे

लियाक़त अली आसिम

ग़ज़ल 27

अशआर 28

हम ने तुझे देखा नहीं क्या ईद मनाएँ

जिस ने तुझे देखा हो उसे ईद मुबारक

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ज़रा सा साथ दो ग़म के सफ़र में

ज़रा सा मुस्कुरा दो थक गया हूँ

ज़मानों बा'द मिले हैं तो कैसे मुँह फेरूँ

मिरे लिए तो पुरानी शराब हैं मिरे दोस्त

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शाम के साए में जैसे पेड़ का साया मिले

मेरे मिटने का तमाशा देखने की चीज़ थी

मुझे मनाओ नहीं मेरा मसअला समझो

ख़फ़ा नहीं मैं परेशान हूँ ज़माने से

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