कोमल जोया
ग़ज़ल 22
अशआर 6
अब किसी और तरफ़ बात घुमाने वाले
मैं समझती हूँ तिरी बात का मतलब समझे
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मंसूब चराग़ों से तरफ़-दार हवा के
तुम लोग मुनाफ़िक़ हो मुनाफ़िक़ भी बला के
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
सवाल कौन उठाएगा मुंसिफ़ों पे हुज़ूर
बरी हुए सभी मुजरिम गवाह क़ैद में है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
अंधेरे कमरे में रक़्स करती रहेगी वहशत
और एक कोने में पारसाई पड़ी रहेगी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मैं ख़ानदान की पाबंदियों से वाक़िफ़ थी
ख़ुदा का शुक्र है उस शख़्स ने वफ़ा नहीं की
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए