खालिद गनी
ग़ज़ल 3
नज़्म 3
अशआर 4
रंग ख़ुश्बू और मौसम का बहाना हो गया
अपनी ही तस्वीर में चेहरा पुराना हो गया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
अब मिरी तन्हाई भी मुझ से बग़ावत कर गई
कल यहाँ जो कुछ हुआ था सब फ़साना हो गया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मिरे सुलूक की क़ीमत यहीं अदा कर दे
मुझे गुनाह की लज़्ज़त से आश्ना कर दे
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
लकीरें पीटने वालों को 'ख़ालिद'
लकीरों पर हँसी आने लगी है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए