aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1940 - 2021 | कराची, पाकिस्तान
क्यूँ माँग रहे हो किसी बारिश की दुआएँ
तुम अपने शिकस्ता दर-ओ-दीवार तो देखो
तेरी यादों की चमकती हुई मशअ'ल के सिवा
मेरी आँखों में कोई और उजाला ही नहीं
मिरे वजूद के ख़ुश्बू-निगार सहरा में
वो मिल गए हैं तो मिल कर बिछड़ भी सकते हैं
दफ़्तर की थकन ओढ़ के तुम जिस से मिले हो
उस शख़्स के ताज़ा लब-ओ-रुख़्सार तो देखो
मिरी शाइ'री में छुप कर कोई और बोलता है
सर-ए-आइना जो देखूँ तो वो शख़्स दूसरा है
Pahchan
Shairi Aur Tahzeeb
1988
Shanasai
1984
शनासाई
1973
Sheeshe Ka Darakht
1991
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