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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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जलालुद्दीन अकबर

1905 - 1940

जलालुद्दीन अकबर

ग़ज़ल 6

अशआर 5

तिरा वस्ल है मुझे बे-ख़ुदी तिरा हिज्र है मुझे आगही

तिरा वस्ल मुझ को फ़िराक़ है तिरा हिज्र मुझ को विसाल है

ये भूल भी क्या भूल है ये याद भी क्या याद

तू याद है और कोई नहीं तेरे सिवा याद

दिल को इस तरह देखने वाले

दिल अगर बे-क़रार हो जाए

इश्क़ से है फ़रोग़-ए-रंग-ए-जहाँ

इब्तिदा हम हैं इंतिहा हैं हम

ये काएनात ये बज़्म-ए-ज़ुहूर कुछ भी नहीं

तिरी नज़र में नहीं है जो नूर कुछ भी नहीं

पुस्तकें 12

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