aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1844 - 1917 | मेरठ, भारत
बच्चों की शायरी के लिए प्रसिद्ध
क्या हो गया इसे कि तुझे देखती नहीं
जी चाहता है आग लगा दूँ नज़र को मैं
बद की सोहबत में मत बैठो इस का है अंजाम बुरा
बद न बने तो बद कहलाए बद अच्छा बदनाम बुरा
दोस्ती और किसी ग़रज़ के लिए
वो तिजारत है दोस्ती ही नहीं
कभी भूल कर किसी से न करो सुलूक ऐसा
कि जो तुम से कोई करता तुम्हें नागवार होता
तारीफ़ उस ख़ुदा की जिस ने जहाँ बनाया
कैसी ज़मीं बनाई क्या आसमाँ बनाया
अजीब चिड़िया
असलम की बिल्ली
Bachon Ke Ismail
1934
Bachon Ke Ismail Merathi
2013
1991
Bachon Ke Shayar Ismail Merathi
Nazme Aur Unki Tashreeh
2016
Ek Bachcha Aur Jugnu
एक गधा शेर बना
1997
Hayat-e-Ismail Ma Kulliyat-e-Ismail Ba-Tasweer
1939
Ismail Meeruthi
Hindustani Adab Ke Memar
2008
कभी भूल कर किसी से न करो सुलूक ऐसा कि जो तुम से कोई करता तुम्हें नागवार होता
छुरी का तीर का तलवार का तो घाव भरा लगा जो ज़ख़्म ज़बाँ का रहा हमेशा हरा
है आज रुख़ हवा का मुआफ़िक़ तो चल निकल कल की किसे ख़बर है किधर की हवा चले
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