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इक़बाल सुहैल

1884 - 1955 | आज़मगढ़, भारत

स्वतंत्रता सेनानी, वकील, 1935 में यूपी विधानसभा के निर्वाचित सदस्य

स्वतंत्रता सेनानी, वकील, 1935 में यूपी विधानसभा के निर्वाचित सदस्य

इक़बाल सुहैल

ग़ज़ल 15

नज़्म 1

 

अशआर 8

रहा कोई तार दामन में

अब नहीं हाजत-ए-रफ़ू मुझ को

जो तसव्वुर से मावरा हुआ

वो तो बंदा हुआ ख़ुदा हुआ

आशोब-ए-इज़्तिराब में खटका जो है तो ये

ग़म तेरा मिल जाए ग़म-ए-रोज़गार में

वो शबनम का सुकूँ हो या कि परवाने की बेताबी

अगर उड़ने की धुन होगी तो होंगे बाल-ओ-पर पैदा

कुछ ऐसा है फ़रेब-ए-नर्गिस-ए-मस्ताना बरसों से

कि सब भूले हुए हैं काबा बुत-ख़ाना बरसों से

पुस्तकें 4

 

ऑडियो 8

अब दिल को हम ने बंदा-ए-जानाँ बना दिया

असीरों में भी हो जाएँ जो कुछ आशुफ़्ता-सर पैदा

उफ़ क्या मज़ा मिला सितम-ए-रोज़गार में

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