इम्दाद इमाम असर
ग़ज़ल 26
अशआर 25
आइना देख के फ़रमाते हैं
किस ग़ज़ब की है जवानी मेरी
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दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त हो
मैं तुम्हारी दोस्ती में मेहरबाँ मारा गया
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मुश्किल का सामना हो तो हिम्मत न हारिए
हिम्मत है शर्त साहिब-ए-हिम्मत से क्या न हो
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तड़प तड़प के तमन्ना में करवटें बदलीं
न पाया दिल ने हमारे क़रार सारी रात
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