aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1960 | जयपुर, भारत
पिछ्ला बरस तो ख़ून रुला कर गुज़र गया
क्या गुल खिलाएगा ये नया साल दोस्तो
बरस रही है उदासी तमाम आँगन में
वो रत-जगों की हवेली बड़े अज़ाब में है
आँखों को यूँ भा गया उस का रूप-अनूप
सर्दी में अच्छी लगे जैसे कच्ची धूप
समय के धारे देख कर होता है विश्वास
एक न एक दिन देखना शेर चरेंगे घास
किस को अब दिखलाएँ हम अपने दिल का ख़ून
सुनते आए हैं यही अंधा है क़ानून
Kitne Suraj
2019
कितने सुरज
2018
Sahra Mein Gum Naddi
1999
सहरा में गुम नद्दी
सहरा में गुम नदी
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