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Bedam Shah Warsi's Photo'

बेदम शाह वारसी

1876 - 1936 | बाराबंकी, भारत

सूफ़ी शायर धार्मिक शायरी के लिए विख्यात

सूफ़ी शायर धार्मिक शायरी के लिए विख्यात

बेदम शाह वारसी

ग़ज़ल 46

अशआर 17

अब आदमी कुछ और हमारी नज़र में है

जब से सुना है यार लिबास-ए-बशर में है

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जुनूँ क्यूँ लिए जाता है बयाबाँ में मुझे

जब तुझे आता है घर को मिरे सहरा करना

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तुम जो चाहो तो मिरे दर्द का दरमाँ हो जाए

वर्ना मुश्किल है कि मुश्किल मिरी आसाँ हो जाए

मिरे नाशाद रहने से अगर तुझ को मसर्रत है

तो मैं नाशाद ही अच्छा मुझे नाशाद रहने दे

वो क़ुलक़ुल-ए-मीना में चर्चे मिरी तौबा के

और शीशा-ओ-साग़र की मय-ख़ाने में सरगोशी

पुस्तकें 12

वीडियो 6

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