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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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बख़्श लाइलपूरी

1934 - 2002 | लंदन, यूनाइटेड किंगडम

प्रगतिवादी विचारधारा के आवामी शायर, ब्रिटेन के प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष रहे

प्रगतिवादी विचारधारा के आवामी शायर, ब्रिटेन के प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष रहे

बख़्श लाइलपूरी

ग़ज़ल 19

अशआर 8

कभी आँखों पे कभी सर पे बिठाए रखना

ज़िंदगी तल्ख़ सही दिल से लगाए रखना

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हमारे ख़्वाब चोरी हो गए हैं

हमें रातों को नींद आती नहीं है

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कोई शय दिल को बहलाती नहीं है

परेशानी की रुत जाती नहीं है

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दर्द-ए-हिजरत के सताए हुए लोगों को कहीं

साया-ए-दर भी नज़र आए तो घर लगता है

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वही पत्थर लगा है मेरे सर पर

अज़ल से जिस को सज्दे कर रहा हूँ

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