aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
अज़ाब होती हैं अक्सर शबाब की घड़ियाँ
गुलाब अपनी ही ख़ुश्बू से डरने लगते हैं
हर शख़्स को गुमान कि मंज़िल नहीं है दूर
ये तो बताइए कि पता किस के पास है
क़ातिल की सारी साज़िशें नाकाम ही रहीं
चेहरा कुछ और खिल उठा ज़हराब गर पिया
आज-कल तो सब के सब टीवी के दीवाने हुए
वर्ना बच्चे तो लिया करते थे पागल के मज़े
फलदार दरख़्तों ने रिझाया तो मुझे भी
आज़ाद परिंदों के लिए शाख़-ओ-समर क्या
Kab Tak Aakhir Kab Tak
1999
Rasheed Anjum Kitne, Kitne Door, Kitne Pas
2018
Sukhankar
Tedha Qalam
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