अज़ीम हैदर सय्यद
ग़ज़ल 14
अशआर 16
देने वाले तू मुझे नींद न दे ख़्वाब तो दे
मुझ को महताब से आगे भी कहीं जाना है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ऐ शाम-ए-हिज्र-ए-यार मिरी तू गवाही दे
मैं तेरे साथ साथ रहा घर नहीं गया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
लिबास देख के इतना हमें ग़रीब न जान
हमारा ग़म तिरी इम्लाक से ज़ियादा है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
इसी लिए तो हार का हुआ नहीं मलाल तक
वो मेरे साथ साथ था उरूज से ज़वाल तक
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
तू ने भी सारे ज़ख़्म किसी तौर सह लिए
मैं भी बिछड़ के जी ही लिया मर नहीं गया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए