aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1892 - 1963
जलील मानकपुरी और आरज़ू लखनवी के प्रिय शागिर्द; ग़ज़ल, रुबाई और मसनवी जैसी विधाओं में रचनाएं कीं. नये सीखनेवालों के लिए एक फ़ारसी लुग़त भी सम्पादित की
इश्क़ में शिकवा कुफ़्र है और हर इल्तिजा हराम
तोड़ दे कासा-ए-मुराद इश्क़ गदागरी नहीं
तुम चाहो तो दो लफ़्ज़ों में तय होते हैं झगड़े
कुछ शिकवे हैं बेजा मिरे कुछ उज़्र तुम्हारे
बे-वज्ह नहीं हुस्न की तनवीर में ताबिश
लौ देते हैं ख़ाकिस्तर-ए-उल्फ़त के शरारे
Armughan-e-Paras
Part-001
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