असद भोपाली
ग़ज़ल 14
अशआर 15
इतना तो बता जाओ ख़फ़ा होने से पहले
वो क्या करें जो तुम से ख़फ़ा हो नहीं सकते
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ऐ मौज-ए-हवादिस तुझे मालूम नहीं क्या
हम अहल-ए-मोहब्बत हैं फ़ना हो नहीं सकते
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
हालात ने किसी से जुदा कर दिया मुझे
अब ज़िंदगी से ज़िंदगी महरूम हो गई
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ऐसे इक़रार में इंकार के सौ पहलू हैं
वो तो कहिए कि लबों पे न तबस्सुम आए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
जब ज़रा रात हुई और मह ओ अंजुम आए
बार-हा दिल ने ये महसूस किया तुम आए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए