अरशद जमाल सारिम
ग़ज़ल 15
अशआर 16
क्या कहूँ कितना फ़ुज़ूँ है तेरे दीवाने का दुख
इक तरफ़ जाने का ग़म है इक तरफ़ आने का दुख
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
न जाने उस ने खुले आसमाँ में क्या देखा
परिंदा फिर से जहान-ए-क़फ़स में लौट आया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
बस इतना रब्त काफ़ी है मुझे ऐ भूलने वाले
तिरी सोई हुई आँखों में अक्सर जागता हूँ मैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ज़िंदगी तू भी हमें वैसे ही इक रोज़ गुज़ार
जिस तरह हम तुझे बरसों से गुज़ारे हुए हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
वीडियो 4
This video is playing from YouTube