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अनीस अंसारी

1949 | फतेहपुर, भारत

अनीस अंसारी

ग़ज़ल 12

अशआर 16

मैं ने आँखों में जला रखा है आज़ादी का तेल

मत अंधेरों से डरा रख कि मैं जो हूँ सो हूँ

नाम तेरा भी रहेगा सितमगर बाक़ी

जब है फ़िरऔन चंगेज़ का लश्कर बाक़ी

बड़ा आज़ार-ए-जाँ है वो अगरचे मेहरबाँ है वो

अगरचे मेहरबाँ है वो बड़ा आज़ार-ए-जाँ है वो

तुम को भी पहचान नहीं है शायद मेरी उलझन की

लेकिन हम मिलते रहते तो अच्छा ही रहता जानम

कभी दरवेश के तकिया में भी कर देखो

तंग-दस्ती में भी आराम मयस्सर निकला

पुस्तकें 4

 

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