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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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अमरदीप सिंह

1983 | पटियाला, भारत

अमरदीप सिंह

ग़ज़ल 26

अशआर 3

वो साफ़-गो है मगर बात का हुनर सीखे

बदन हसीं है तो क्या बे-लिबास आएगा

बे-फ़िक्र रहो यारो मैं आज भी हूँ बर्बाद

दिन फिर गए हैं मेरे अफ़्वाह उड़ी होगी

दिमाग़-ओ-दिल की थकान वाला

कड़ा सफ़र है गुमान वाला

 

क़ितआ 1

 

"पटियाला" के और शायर

 

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