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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Ahsan Yusuf Zai's Photo'

अहसन यूसुफ़ ज़ई

दौलताबाद, भारत

अहसन यूसुफ़ ज़ई

ग़ज़ल 9

अशआर 7

नींद को लोग मौत कहते हैं

ख़्वाब का नाम ज़िंदगी भी है

बरसात थम चुकी है मगर हर शजर के पास

इतना तो है कि आप का दामन भिगो सके

काग़ज़ की नाव हूँ जिसे तिनका डुबो सके

यूँ भी नहीं कि आप से ये भी हो सके

हमारी साँसें मिली हैं गिन के

जाने कितने बजे हैं दिन के

सब के आँगन झाँकने वाले हम से ही क्यूँ बैर तुझे

कब तक तेरा रस्ता देखें सारी रात के जागे हम

पुस्तकें 1

 

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