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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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अहमद शहरयार

1983 | ईरान

ईरान स्थित प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायर

ईरान स्थित प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायर

अहमद शहरयार

ग़ज़ल 15

अशआर 15

सालगिरह पर कितनी नेक तमन्नाएँ मौसूल हुईं

लेकिन इन में एक मुबारकबाद अभी तक बाक़ी है

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फ़क़ीर-ए-शहर भी रहा हूँ 'शहरयार' भी मगर

जो इत्मिनान फ़क़्र में है ताज-ओ-तख़्त में नहीं

रातों को जागते हैं इसी वास्ते कि ख़्वाब

देखेगा बंद आँखें तो फिर लौट जाएगा

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दस्तकें सदा कौन दर पे आया है

फ़क़ीर-ए-शहर है या शहरयार देखिएगा

ख़्वाब-ए-ज़ियाँ हैं उम्र का ख़्वाब हैं हासिल-ए-हयात

इस का भी था यक़ीं मुझे वो भी मिरे गुमाँ में था

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