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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अहमद हुसैन माइल

1857/58 - 1914

हैदराबाद दकन के पुरगो और क़ादिरुलकलाम शायर, जिन्होंने सख़्त और मुश्किल ज़मीनों में शायरी की, रुबाई कहने के लिए भी मशहूर

हैदराबाद दकन के पुरगो और क़ादिरुलकलाम शायर, जिन्होंने सख़्त और मुश्किल ज़मीनों में शायरी की, रुबाई कहने के लिए भी मशहूर

अहमद हुसैन माइल

ग़ज़ल 19

अशआर 37

मुझ से बिगड़ गए तो रक़ीबों की बन गई

ग़ैरों में बट रहा है मिरा ए'तिबार आज

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दूर से यूँ दिया मुझे बोसा

होंट की होंट को ख़बर हुई

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प्यार अपने पे जो आता है तो क्या करते हैं

आईना देख के मुँह चूम लिया करते हैं

अगरचे वो बे-पर्दा आए हुए हैं

छुपाने की चीज़ें छुपाए हुए हैं

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जितने अच्छे हैं मैं हूँ उन में बुरा

हैं बुरे जितने उन में अच्छा हूँ

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रुबाई 19

पुस्तकें 3

 

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