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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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आगाह देहलवी

1839 - 1917 | दिल्ली, भारत

आगाह देहलवी

अशआर 2

उस की बेटी ने उठा रक्खी है दुनिया सर पर

ख़ैरियत गुज़री कि अँगूर के बेटा हुआ

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मैं ने सवाल-ए-वस्ल जो उन से किया कभी

बोले नसीब में है तो हो जाएगा कभी

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