aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1958 | ब्राइटन, संयुक्त राज्य अमेरिका
दे हौसले की दाद के हम तेरे ग़म में आज
बैठे हैं महफ़िलों को सजाए तिरे बग़ैर
मैं इस से क़ीमती शय कोई खो नहीं सकता
'अदील' माँ की जगह कोई हो नहीं सकता
हर तरफ़ अपने ही अपने हाए तन्हाई न पूछ
किस क़दर खलती है अक्सर हम को बीनाई न पूछ
दिल की धड़कन को सुना ग़ौर से कल रात 'अदील'
जिस को मैं ढूँढता रहता हूँ बसा है मुझ में
कहाँ के माहिर-ओ-कामिल हो तुम हुनर में 'अदील'
तुम्हारे काम तो पर्वरदिगार करता है
Azan-e-Majlis
2008
Bandagi-e-Buturab
2021
Bayaz-e-Akhtar
2009
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2001
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Mausam-e-Gham-e-Javed
2022
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Qarz-e-Jan
कर्ज़-ए-जाँ
Zar-e-Dagh Hae Dil
दे हौसले की दाद के हम तेरे ग़म में आज बैठे हैं महफ़िलों को सजाए तिरे बग़ैर
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