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अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

1911 | पीलीभीत, भारत

जिगर मुरादाबदी के शागिर्द, क्लासिकी रंग की शायरी के लिए जाने जाते हैं

जिगर मुरादाबदी के शागिर्द, क्लासिकी रंग की शायरी के लिए जाने जाते हैं

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

ग़ज़ल 7

अशआर 10

तुम्हारे संग-ए-तग़ाफ़ुल का क्यूँ करें शिकवा

इस आइने का मुक़द्दर ही टूटना होगा

खड़ा हुआ हूँ सर-ए-राह मुंतज़िर कब से

कि कोई गुज़रे तो ग़म का ये बोझ उठवा दे

सदा किसे दें 'नईमी' किसे दिखाएँ ज़ख़्म

अब इतनी रात गए कौन जागता होगा

माज़ी के रेग-ज़ार पे रखना सँभल के पाँव

बच्चों का इस में कोई घरौंदा बना हो

मिरे ख़ुलूस पे शक की तो कोई वज्ह नहीं

मिरे लिबास में ख़ंजर अगर छुपा निकला

पुस्तकें 7

 

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