गुफ़्तुगू (हिन्द पाक दोस्ती के नाम)
रोचक तथ्य
Ali Sardar Jafri was invited to join the Atal Bihari Vajpey's delegation to Lahore but had to decline on account of ill health. Jafri sent a set of 10 cassettes of Sarhad to Vajpayee to be gifted to poets and writers of Pakistan as a message of love and friendship. This nazm was part of the audio collection.
गुफ़्तुगू बंद न हो
बात से बात चले
सुब्ह तक शाम-ए-मुलाक़ात चले
हम पे हँसती हुई ये तारों भरी रात चले
हों जो अल्फ़ाज़ के हाथों में हैं संग-ए-दुश्नाम
तंज़ छलकाए तो छलकाया करे ज़हर के जाम
तीखी नज़रें हों तुर्श अबरू-ए-ख़मदार रहें
बन पड़े जैसे भी दिल सीनों में बेदार रहें
बेबसी हर्फ़ को ज़ंजीर-ब-पा कर न सके
कोई क़ातिल हो मगर क़त्ल-ए-नवा कर न सके
सुब्ह तक ढल के कोई हर्फ़-ए-वफ़ा आएगा
इश्क़ आएगा ब-सद लग़्ज़िश-ए-पा आएगा
नज़रें झुक जाएँगी दिल धड़केंगे लब काँपेंगे
ख़ामुशी बोसा-ए-लब बन के महक जाएगी
सिर्फ़ ग़ुंचों के चटकने की सदा आएगी
और फिर हर्फ़-ओ-नवा की न ज़रूरत होगी
चश्म ओ अबरू के इशारों में मोहब्बत होगी
नफ़रत उठ जाएगी मेहमान मुरव्वत होगी
हाथ में हाथ लिए सारा जहाँ साथ लिए
तोहफ़ा-ए-दर्द लिए प्यार की सौग़ात लिए
रेगज़ारों से अदावत के गुज़र जाएँगे
ख़ूँ के दरियाओं से हम पार उतर जाएँगे
गुफ़्तुगू बंद न हो
बात से बात चले
सुब्ह तक शाम-ए-मुलाक़ात चले
हम पे हँसती हुई ये तारों भरी रात चले
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