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मोहब्बतें जब शुमार करना तो साज़िशें भी शुमार करना

नोशी गिलानी

मोहब्बतें जब शुमार करना तो साज़िशें भी शुमार करना

नोशी गिलानी

MORE BYनोशी गिलानी

    मोहब्बतें जब शुमार करना तो साज़िशें भी शुमार करना

    जो मेरे हिस्से में आई हैं वो अज़िय्यतें भी शुमार करना

    जलाए रक्खूँगी सुब्ह तक मैं तुम्हारे रस्तों में अपनी आँखें

    मगर कहीं ज़ब्त टूट जाए तो बारिशें भी शुमार करना

    जो हर्फ़ लौह-ए-वफ़ा पे लिक्खे हुए हैं उन को भी देख लेना

    जो राएगाँ हो गईं वो सारी इबारतें भी शुमार करना

    ये सर्दियों का उदास मौसम कि धड़कनें बर्फ़ हो गई हैं

    जब उन की यख़-बस्तगी परखना तमाज़तें भी शुमार करना

    तुम अपनी मजबूरियों के क़िस्से ज़रूर लिखना वज़ाहतों से

    जो मेरी आँखों में जल-बुझी हैं वो ख़्वाहिशें भी शुमार करना

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    नोशी गिलानी

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    अज़रा नक़वी

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    मोहब्बतें जब शुमार करना तो साज़िशें भी शुमार करना अज़रा नक़वी

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