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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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सामाजिक मजबूरी पर उद्धरण

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मर्द का तसव्वुर हमेशा औरतों को इस्मत के तने हुए रस्से पर खड़ा कर देता है।

सआदत हसन मंटो
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शरीफ़ घरानों में आई हुई दुल्हन और जानवर तो मर कर ही निकलते हैं।

मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
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मौजूदा निज़ाम के तहत जिसकी बागडोर सिर्फ़ मर्दों के हाथ में है, औरत ख़्वाह वो इस्मत फ़रोश हो या बा-इस्मत, हमेशा दबी रही है। मर्द को इख़्तियार होगा कि वो उसके मुताल्लिक़ जो चाहे राय क़ायम करे।

सआदत हसन मंटो

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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