मेरा अक़ीदा है कि जो क़ौम अपने आप पर जी खोल कर हँस सकती है वो कभी ग़ुलाम नहीं हो सकती।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
मेरा अक़ीदा है कि जो क़ौम अपने आप पर जी खोल कर हँस सकती है वो कभी ग़ुलाम नहीं हो सकती।
Join us for Rekhta Gujarati Utsav | 19th Jan 2025 | Bhavnagar
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