शेर पर दोहे
शे’र या शायरी पर की
जाने वाली शायरी की काफ़ी अहमियत है। शायरी की बारीकीयाँ बताने और इसका मक़सद बताने और शे’र-गोई के गुर सिखाने के लिए आज भी शायर अक्सर शे’र-गोई का ही सहारा लेते हैं। शे’र शायरी के इस अन्दाज़ से आपका तआरुफ़ चंद मिसालों के बग़ैर लुत्फ़ नहीं देगाः
धरती को धड़कन मिली मिला समय को ज्ञान
मेरे जब जब लब खुले उठा कोई तूफ़ान