दिल्ली पर क़तआ'त
दिल्ली हिन्दुस्तान के
आसमान का एक चमकदार सितारा होने के साथ-साथ पुरानी शान-ओ-शौकत और गंगा-जमुनी तहज़ीब का मर्कज़ भी है। इसके गली-कूचे इतिहास की बेरहम सच्चाइयों के गवाह रहे हैं। यहीं के शायरों ने अपने कलाम में दिल्ली का ज़िक्र जिस जज़्बाती अन्दाज़ में किया है वह पढ़ने से ज़्यादा महसूस करने की शय है। दिल्ली शायरी इसके माज़ी और हाल की ऐसी तस्वीर है जो उर्दू शायरी के सिवा कहीं और नहीं मिल सकती। पेश है यह झलकः