शहीद पर फ़िल्मी गीत
शहादत एक मज़हबी तसव्वर
है जिस के मुताबिक़ किसी नेक इरादे के तहत जान क़ुर्बान करने वाले मरने के बाद भी ज़िंदा रहते हैं और बग़ैर किसी बाज़ पुर्स के जन्नत में जाते हैं। शायरी में आशिक़़ भी जख़्मी हो कर शहादत का दर्जा पाता है। ये शहादत उसे माशूक़ के हाथों मिलती है। शहादत के इस मज़हबी तसव्वुर को शायरों ने किस ख़ूबसूरती के साथ आशिक़ के इलाक़े से जोड़ दिया ये देखने की बात है।