Poos Ki Raat
किसानी जीवन की दुर्बलता और सबलता की यथार्थता को बयान करती हुई कहानी है ‘पूस की रात’। एक किसान, जो दिन-रात कड़ी मेहनत करता है और पाई-पाई बचा कर रखता है तो भी अपने लिए सर्दी से बचने के लिए एक कंबल तक हासिल नहीं कर पाता है। वह इतना कमज़ोर है कि परिस्थितियों की दबाव के कारण नील गायों से अपनी फ़स्ल की रक्षा भी नहीं कर पाता। प्रेमचंद ने इस कहानी के माध्यम से किसान की विवशता के लिए ज़िम्मेदार शक्तियों के ऊपर तीखा व्यंग्य किया है।