रास्ता पर ग़ज़लें
रास्ता, सफ़र, मुसाफ़िर
मंज़िल सब चलते रहने और ज़िन्दगी के बहाव की अलामत हैं। रास्तों के पेच-ओ-ख़म, रहगुज़ार की सख़्तियाँ सब एक मक़सद की तकमील के हौसले को पस्त नहीं कर पातीं। कोई ज़रूरी नहीं कि हर रहगुज़र मंज़िल का पता दे लेकिन रास्ता शायरी मंज़िल को पा लेने की धुन को ताक़त और हौसला अता करती है। पेश है रहगुज़र शायरी का यह इन्तिख़ाब आप के लिएः