क़ब्र पर रुबाई
क़ब्र की तंगी, तारीकी
और उस से वाबस्ता बहुत से भयानक और तकलीफ़-दह तसव्वुरात को शायरी में ख़ूब बर्ता गया है। ये अशआर ज़िदगी में रुक कर सोचने और अपना मुहासिबा करने पर मजबूर करते हैं। हमारा ये इन्तिख़ाब पढ़े और ज़िंदगी की हक़ीक़तों पर ग़ौर कीजिए।