तिश्नगी पर क़तआ'त
यूँ तो प्यास पानी की
तलब का नाम है लेकिन उर्दू शायरी या अदब में किसी भी शय की शदीद ख़्वाहिश को प्यास का ही नाम दिया गया है। प्यास के हवाले से कर्बला के वाक़ेआत की तरफ़ भी उर्दू शायरी में कई हवाले मिलते हैं। साक़ी शराब और मैख़ाने का भी शायरी ने तश्नगी से रिश्ता जोड़ रखा है। तश्नगी शायरी के ये बे-शुमार रंग मुलाहिज़ा फ़रमाइयेः