कीमिया-गर
यह तुर्की से हिंदुस्तान में आ बसे एक हकीम की कहानी है, जो अपने पूरे खु़लूस और अच्छे स्वभाव के बावजूद भी यहाँ की मिट्टी में घुल मिल नहीं पाता। गाँव की हिंदु आबादी उसका पूरा सम्मान करती है, मगर वह उन्हें कभी अपना महसूस नहीं कर पाता है। फिर गाँव में हैज़ा फैल जाता है और वह अपने बीवी बच्चों को लेकर गाँव छोड़ देता है। रात में उसे सपने में कीमियागर दिखाई देता है, जिसके साथ की गुफ़्तुगू उसके पूरे नज़रिए को बदल देती है और वह वापस गाँव लौटकर लोगों के इलाज में लग जाता है।