मुसाफ़िर पर चित्र/छाया शायरी
मुसाफ़िर शायरी और ज़िन्दगी
दोनों का एक दिलचस्प किरदार है। ज़िन्दगी यूँ तो ख़ुद भी एक सफ़र है और हम सब मुसाफिर। मंज़िल पर पहुंचने की आरज़ू किस तरह उसे तमाम परेशानियों के बावजूद सरगर्म-ए-सफ़र रखती है और बाज़ औक़ात किस तरह मंज़िलें भी साथ-साथ चलने लगती हैं, इसका अंदाज़ा मुसाफ़िर शायरी की रौशनी में लगाना आसान हो जाता है।