Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

मेलो ड्रामा पर कहानियाँ

क़ादिरा क़साई

अपने ज़माने की एक ख़ूबसूरत और मशहूर वेश्या की कहानी। उसके कोठे पर बहुत से लोग आया करते थे। सभी उससे मोहब्बत का इज़हार किया करते थे। उनमें एक ग़रीब शख़्स भी उससे मोहब्बत का दावा करता था। वेश्या ने उसकी मोहब्बत को ठुकरा दिया। वेश्या के यहाँ एक बेटी हुई। वह भी बहुत ख़ूबसूरत थी। जिन दिनों उसकी बेटी की नथ उतरने वाली थी उन्हीं दिनों देश का विभाजन हो गया। इसमें वेश्या मारी गई और उसकी बेटी पाकिस्तान चली गई। यहाँ भी उसने अपना कोठा जमाया। जल्द ही उसके कई चाहने वाले निकल आए। वह जिस शख़्स को अपना दिल दे बैठी थी वह एक क़ादिरा कसाई था, जिसे उसकी मोहब्बत की कोई ज़रूरत नहीं थी।

सआदत हसन मंटो

डरपोक

यह कहानी एक ऐसे शख़्स की है जो औरत की शदीद ख़्वाहिश होने के चलते रंडीख़ाने पर जाता है। उसने अभी तक की अपनी ज़िंदगी में किसी औरत को छुआ तक नहीं था। न ही उसने अभी तक किसी से इज़हार-ए-मोहब्बत किया था। ऐसा नहीं था कि उसे कभी कोई मौक़ा न मिला हो। मगर उसे जब भी कोई मौक़ा मिला वह किसी अनजाने ख़ौफ़़ के चलते उस पर अमल न कर सका। मगर पिछले कुछ दिनों से उसे औरत की बेहद ख़्वाहिश हो रही थी। इसलिए वह उस जगह तक चला आया था। रंडीख़ाना उससे एक गली दूर था, पर पता नहीं किस डर के चलते उस गली को पार नहीं कर पा रहा था। अंधेरे में तन्हा खड़ा हुआ वह आस-पास के माहौल को देखता है और अपने डर पर क़ाबू पाने की कोशिश करता है। मगर इस से पहले कि वह डर को अपने क़ाबू में करे, डर उसी पर हावी हो गया और वह वहाँ से ऐसे ही ख़ाली हाथ लौट गया।

सआदत हसन मंटो

चोर

यह एक क़र्ज़़दार शराबी व्यक्ति की कहानी है। वह शराब के नशे में होता है, जब उसे अपने क़र्ज़़ और उनके वसूलने वालों का ख़याल आता है। वह सोचता है कि उसे अगर कहीं से पैसे मिल जाएँ तो वह अपना क़र्ज़़ उतार दे। हालाँकि किसी ज़माने में वह उच्च श्रेणी का तकनीशियन था और अब वह क़र्ज़़दार था। जब क़र्ज़़ उतारने की उसे कोई सूरत नज़र नहीं आई तो उसने चोरी करने की सोची। चोरी के इरादे से वह दो घरों में गया भी, मगर वहाँ भी उसके साथ कुछ ऐसा हुआ कि वह चाहकर भी चोरी नहीं कर सका। फिर एक दिन उसे एक व्यक्ति पचास हज़ार रूपये दे गया। उन रूपयों से जब उसने अपने एक क़र्ज़दार को कुछ रूपये देने चाहे तो तकिये के नीचे से रूपयों का लिफ़ाफ़ा ग़ायब था।

सआदत हसन मंटो

गुनाह की रात

हकीम अहमद शुजा

लकड़बग्घा रोया

सय्यद मोहम्मद अशरफ़

लकड़बग्घा हँसा

सय्यद मोहम्मद अशरफ़

एक हलफ़िया बयान

इक़बाल मजीद

क़दीम मा'बदों का मुहाफ़िज़

सय्यद मोहम्मद अशरफ़

तावीज़

इक़बाल मतीन

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए