महरूमी पर क़तआ'त
शायरी में महरूमी की
ज़्यादा-तर सूरतें इश्क़ के इलाक़े से वाबस्ता है। आशिक़ बहुत सी सतहों पर महरूमी का शिकार होता है। सब से पहले बड़ी महरूमी तो उम्र भर का बजुज़ गुज़ारने के बाद विसाल की उम्मीद का भी ख़्वाब हो जाना है। शायरों ने महरूमी के इस गहरे और नाज़ुक तरीन एहसास को बड़ी ख़ूबसूरती के साथ बयान किया है. हमारा ये इन्तिख़ाब आप को महरूमी के बहुत सी सूरतों से आश्ना कराएगा।