जीत पर ग़ज़लें
जीत और हार का तसव्वुर
बहुत पुराना है। ज़िन्दगी के तमाम खेल जीत की ख़्वाहिश में ही खेले जाते हैं चाहे इनका नतीजा कुछ भी निकले। दिल और दुनिया की बाज़ी में शायर भी कहीं न कहीं शामिल होता है इस लिए जीत उसके लिए भी शायरी का मौज़ूअ है। जीत शायरी के जश्न में कुछ देर के लिए आप भी शरीक हों तो मज़ा आ जाएः