जफ़ा पर ग़ज़लें
मोहब्बत के क़िस्से और
महबूब के क़सीदे उर्दू शायरी में जितने आ’म हैं उतनी ही शोहरत महबूब की ज़ुल्म करने की आदत की भी है। आशिक़ दिल के हाथों मजबूर वह दीवाना होता है जो तमामतर जफ़ाओं और यातनाओं के बावजूद मोहब्बत से किनारा करने को तैयार नहीं। इन जफ़ाओं का तिलिस्म शायरों के सर चढ़ कर बोलता रहा है। जफ़ा शायरी के इसी रंग रूप से आशनाई कराने के लिए पेश है यह इन्तिख़ाबः