इल्म पर ग़ज़लें
इल्म को मौज़ू बनाने
वाले जिन शेरों का इन्तिख़ाब यहाँ पेश किया जा रहा है उस से ज़िंदगी में इल्म की अहमियत और अफ़ादियत का अंदाज़ा होता है। इस के अलावा कुछ ऐसे पहलू भी इन शेरों में मौजूद है जो इल्म के मौज़ू के सियाक़ में बिलकुल नए और अछूते हैं। इल्म के ज़िरिये पैदा होने वाली मनफ़ियत पर उमूमन कम ग़ौर किया जाता। ये शायरी इल्म के डिस्कोर्स को एक नए ढंग से देखती है और तर्तीब देती है।