हुनर पर ग़ज़लें
हुनरमंदी इन्सान की शख़्सियत
को निखारती है। हर शख़्स अपने अंदर कुछ सलाहियतें लेकर पैदा होता है जिनको पहचान कर वो एक बड़े हुनर में तबदील कर लेता है और यही हुनर उस की शख़्सियत की पहचान बनता है। हुनर के उनवान से हम जो अशआर आप तक पहुँचा रहे हैं वो ज़िंदगी में नए हौसलों से भरते हैं और नई मंज़िलों पर गामज़न करते हैं।