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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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हसरत पर ग़ज़लें

दिल के खज़ाने में नाकाम

ख़्वाहिशों की कभी कमी नहीं रहती। ये हसरतें यादों की शक्ल में उदास करने के बहाने ढूंढती रहती हैं। उर्दू की क्लासिकी शायरी इन हसरतों के बयान से भरी पड़ी है। ज़िन्दगी के किसी न किसी लम्हे में शायर उस दौर को लफ़्ज़ देना नहीं भूलता जब हसरतें ही उसकी ज़िन्दगी का वाहिद सहारा रह गई हों। हसरत शायरी का यह इन्तिख़ाब पेश हैः

हर हक़ीक़त मजाज़ हो जाए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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